यदि आप भी जन्माष्टमी वाले दिन व्रत रखने के बारे में सोच रहे हैं तो ऐसे में आपको कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा। इस दिन आपको भगवान कृष्ण की पूजा में अपना मन लगाना होगा।
यदि महिलाएं यह व्रत रखने वाली है तो ऐसा करना उनके लिए बेहद ही फायदेमंद होगा। इस दिन व्रत रखने से आपके परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहेगी। साथ ही संतना प्राप्ति की भी मनोकामना पूरी हो सकती हैं।
जन्माष्टमी व्रत व पूजन विधि
1. जन्माष्टमी व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारणा से व्रत की पूर्ति होती है।
2. जन्माष्टमी व्रत को करने वाले को चाहिए कि व्रत से एक दिन पूर्व (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करें। रात्रि को स्त्री संग से वंचित रहें और सभी ओर से मन और इंद्रियों को काबू में रखें।
3. उपवास वाले दिन प्रातः स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठें।
4. हाथ में जल, फल और पुष्प लेकर संकल्प करके मध्यान्ह के समय काले तिलों के जल से स्नान (छिड़ककर) कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएँ। अब इस सूतिका गृह में सुन्दर बिछौना बिछाकर उस पर शुभ कलश स्थापित करें।
5. साथ ही भगवान श्रीकृष्ण जी को स्तनपान कराती माता देवकी जी की मूर्ति या सुन्दर चित्र की स्थापना करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम क्रमशः लेते हुए विधिवत पूजन करें।
6. जन्माष्टमी व्रत रात्रि बारह बजे के बाद ही खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता। फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फ़ी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है।
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ज्यादा से ज्यादा फलों का सेवन करें
- व्रत के दिन अधिक मात्रा में फल खाना आपको एनर्जी देगा। फलों में विटामिन के साथ ही न्यूट्रिएंट्स आपको तरोताजा रखेंगे।
- पानी की अधिकता वाले फल जैसे वाटर मेलन और मस्क मेलन आदि भी ले सकते हैं। ये फल पानी की कमी को पूरा करने के साथ ही आपको जरूरी न्यूट्रिएन्ट्स प्रदान करेंगे।
- न्यूट्रिएन्टिस की मात्रा बढ़ाने के लिए आप फलों के साथ ही दूध या दही भी मिक्स कर सकते हैं।